शिक्षक माधव बन जाते हैं

कच्ची मिट्टी के पात्रों से
 वे सक्षम मानव गढ़ते हैं, 
शिक्षक ईश्वर की अनुपम कृति
 नित चंदा जैसे बढ़ते हैं| 
जलते हैं स्वयं दीपक जैसे
 करने को ज्ञान प्रसारित वे,
निज स्वार्थों से उठकर ऊपर
करते ऊर्जा संचारित वे|
करते हैं नाश अविद्या का
 जग से परिचित करवाते हैं,
जीवन के सच्चे अर्थों को
 गुरुजन ही तो बतलाते हैं|
 देशप्रेम  और नैतिकता के
भाव हृदय में भरते हैं,
विद्या के अद्भुत शस्त्रों से
 योद्धा वे निर्मित करते हैं|
करने को विजित महाभारत
जीवन गीता समझाते हैं,
जब शिष्य पार्थ बन मिलता है
शिक्षक माधव बन जाते हैं।
     
रचयिता
डॉ0 श्वेता सिंह गौर
सहायक शिक्षिका 
कन्या जूनियर हाई स्कूल बावन,
हरदोई।

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