तुम्हें सिखाने आया हूँ

आओ बच्चों अ आ इ ई तुम्हें सिखाने आया हूँ।
अंधकार में डूबे मन में, दीप जलाने आया हूँ।
भारत हो फिर विश्व गुरु, अब यही जताने आया हूँ।
अ आ इ ई..........
ताप सूर्य में वेग पवन में, यह समझाने आया हूँ।
इनसे सब सौंदर्य जगत में, बोध कराने आया हूँ।
हरी-भरी ये धरा स्वर्ग है, महसूस कराने आया हूँ।
घर-घर आँगन खुशियाँ बरसे, तुम्हें जगाने आया हूँ।
अ आ इ ई........
मन बसन्त हो जाये बच्चों, प्रेम सिखाने आया हूँ।
माता-पिता गुरु परमेश्वर, यह समझाने आया हूँ।
एकलव्य और अर्जुन तुम हो, वीर बनाने आया हूँ।
तुम्हीं शिवा हो राणा तुम्हीं हो, रणवीर बनाने आया हूँ।
अ आ इ ई ..प्यारे बच्चों, तुम्हें सिखाने आया हूँ।
तुम्हीं हो कल के वीर सिपाही, प्यार सिखाने आया हूँ।

रचयिता
रामकिशोर प्रजापति,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय विरहटा, 
विकास खण्ड-चिरगाँव, 
जनपद -झाँसी (उ.प्र.) 
   9453662488

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