हिंदी फल फूल रही है

कबीर से लेकर तुलसी तक
रहीम से लेकर जायसी तक
अटल से लेकर बच्चन तक
सबकी ये महबूब रही है
हिंदी फल फूल खूब रही है।

निराला से वो महाप्राण
पंत की प्रकृति महान
प्रसाद की कामायनी
महादेवी का रहस्य अनजान
सबकी वो महबूब रही है
हिंदी फल फूल खूब रही है।

प्रेमचंद का शंखनाद
दिनकर का संस्कृति ज्ञान
अज्ञेय का अद्भुत तान
महापंडित वो सांकृत्यायन
सबकी वो महबूब रही है
हिंदी फल फूल खूब रही है।

कोई कोई कहता है
हिंदी तो डूब रही है
मुझे तो लगता है वो
फल फूल खूब रही है।

रचयिता
सतीश कुमार,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय भड़ेहरी, 
विकास खण्ड-कड़ा,
जनपद-कौशाम्बी।

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