एक लड़की

एक मैली - कुचैली सी लड़की,
आँखों में पानी,                   
हाथों में खाली थाली,           
थाली टूटी-फूटी थी,             
दे दाता के नाम मुँह से बोली थी,                           
खाली झोली लेकर घूम रही थी,                           
सपनों की भिक्षा माँग रही थी, हाथ पेट पर था
आँखों से खोज रही थी,                         
न जानें किसको ढूँढ रही थी,
इस दरिद्र इंसानों की बस्ती में,   
जहाँ लोग मुखौटे पर मुखौटा लगाते हैं,                     
  उनके चेहरों में अपना दर्द ढूंढ़ रही थी,                         
 बड़ी नादान थी वह मैली-कुचैली सी एक लड़की,
दरिंदों की बस्ती में खुद का हमसाया ढूंढ़ रही थी।

रचयिता
संगीता भास्कर,
प्राइमरी स्कूल बिस्टौली,
विकास खण्ड-जंगल कौड़िया,
जनपद-गोरखपुर।

Comments

  1. बहुत भावुक रचना ।

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