अगस्त क्रांति

मुम्बई अगस्त क्रांति मैदान से
सुलग रही थी पवित्र ज्वाला
भारत छोड़ो आंदोलन के यज्ञ में
कूद पड़ा हर भारतीय मतवाला

काटने भारत माँ की हर बेड़ी
हर बूँद खून की बनी थी लावा
आजादी की अंतिम जंग का
ऐलान अब कहाँ रुकने वाला

घबराई ब्रिटिश हुकूमत का अब
आजादी के दीवानों से पड़ा पाला
कूद पड़े सब जन इस यज्ञ वेदी में
बुजुर्ग, नौजवां, औरत या बाला।

आंदोलन की चिंगारी धधकी ऐसी
गांधी जी का विरोध प्रदर्शन था
पटेल, प्रसाद और जयप्रकाश संग
हर भारतवासी का समर्थन था

विचलित फिरंगियों ने सहसा से
गिरफ्तार कर लिए एक-एक नेता
आजादी को मचल उठे हृदयों में
करो या मरो का अमर उद्घोष था

डर से फूल उठे पाँव अंग्रेजों के
हड़ताल, प्रदर्शन का बोलबाला था
कितने दाँव चले थे कुचलने को पर
हर मन में आजादी का संकल्प था

चली आजादी की लहर अनोखी
हर फिरंगी हारकर बौखलाया था
अनगिनत अमर बलिदानों से
सींचा स्वतंत्रता का वो बीज था।

धन्य-धन्य था वो हर भारतवासी
इस भू को निज प्राणों से सींचा था
नमन उनके शौर्य बलिदानों को जो
आजादी का तिरंगा लहराया था।

रचयिता
जया चौधरी,
सहायक अध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय बलखिला मलारी,
विकास खण्ड-जोशीमठ,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

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