४५९~ अपूर्व कुमार श्रीवास्तव (इंचार्ज प्रधानाध्यापक) पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिकटिहवा शोहरतगढ़ सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश

        🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद - सिद्धार्थनगर से अनमोल रत्न शिक्षक भाई अपूर्व कुमार श्रीवास्तव जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और व्यवहार कुशलता से शून्यवत हो चुके विद्यालय को पुनः स्वयं के प्रयासों एवं सामाजिक सहभागिता से आकर्षक एवं आदर्श बना दिया। जिससे विद्यालय सामाजिक विश्वास का केन्द्र बन गया। जो हम सभी के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय प्रयास हैं।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

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👉1- शिक्षक का परिचय :-
अपूर्व कुमार श्रीवास्तव (इंचार्ज प्रधानाध्यापक) पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिकटिहवा शोहरतगढ़ सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश

प्रथम नियुक्ति: 18 -12- 1999 वर्तमान विद्यालय में नियुक्ति: 10-07-2010

विद्यालय की तत्कालीन स्थिति - बंद विद्यालय, जर्जर भवन, फर्श पर घासे जमी हुई, हैंडपंप नदारद

👉2- विद्यालय की समस्याएं:- गाँव क्षेत्र से एक किलोमीटर दूर जंगल में स्थित होने एवं नेपाल बार्डर के निकट होने से जुआडियो, चोरों का अड्डा, कोई नामांकन नहीं, गांव वालों का अरुचिकर व्यवहार मुख्य समस्या थीl

👉3- समस्याओं का समाधान एवं किए गए प्रयास:-
1. जनसंपर्क: जुलाई 2010 में ज्वाइन करने के बाद लगभग एक माह तक प्रतिदिन आच्छादित पाँच गाँव (कर्मा, औरहवा, सेहरिया, साधूनगर, शिवानगर) में जाकर लोगों के बीच बैठकर वार्तालाप, जनसंपर्क कर लोगों को शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक कियाl
2. प्रेरणा: आंगनवाड़ी को प्रेरित करके केंद्र का संचालन घर के बजाय स्कूल में करवाया तथा गाँव के बच्चों को समझा कर विद्यालय में खेलना शुरू कियाl खेल - खेल में बच्चों से बात चीत, समझाना व फुलवारी लगवाया गयाl इस प्रकार धीरे - धीरे बच्चों व अभिभावकों का विश्वास जीता गयाl खेल व फूलवारी से उनका विद्यालय से भावनात्मक लगाव होने लगाl
फिर बच्चों का नामांकन किया, 15 अगस्त, 2 अक्टूबर को धूमधाम से सांस्कृतिक कार्यक्रम व खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें पूर्व प्रधान. वर्तमान प्रधान, गांव वालों को निमंत्रित कर भोजन भी कराया गया।
3- अनुशासन व संस्कार:
अब बच्चों को सुव्यवस्थित बैठना, सही ढंग से बोलना, प्रार्थना, पी टी, देश प्रेम, प्रेरक कहानिया, खेल गतिविधि से बच्चे अनुशासित होते गएl असेंबली में सामान्य ज्ञान, देशप्रेम पर विशेष ध्यान दिया गयाl
4- निष्ठा एवं कर्तव्य: विद्यालय को प्राप्त अनुदान में स्वयं के वेतन का कुछ अंश मिलाकर, यस.एम.सी. से अनुमोदन करवा कर विद्यालय का फर्श, खिड़की मरम्मत, बच्चों को टाइ, बेल्ट, आई कार्ड, पेन, कॉपी आदि की व्यवस्था की गईl
सहयोग: पूर्व प्रधान, वर्तमान प्रधान, अन्य जन प्रतिनिधि से सहयोग लेकर बाउंड्री मरम्मत, गेट निर्माण, अनैतिक लोगों (जुआडियो चोरों) का विद्यालय में आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। बच्चे घर पर भी जाकर आपस में बात करते थे जिसको देखकर अभिभावकों के मन में विश्वास जगा, जिससे नामांकन बढ़ाने में सहायता मिली प्रार्थना सभा में बच्चों को योगा पीटी एवं प्रेरणा मिशन शिक्षण संवाद ग्रुप के जरिए प्रतिदिन प्राप्त सामान्य ज्ञान के प्रश्न उत्तरों को दोहराना शुरू किया।
5- नवाचार :
नेतृत्व विकासएवं सहभागिता: विद्यालय में बाल संसद का गठन करने के बाद विद्यालय संचालन में बच्चों की सहभागिता मिली तथा बच्चों में नेतृत्व की भावना का विकास हुआ साथ ही बच्चे स्व-अनुशासित होते गएl
6- बालिका शिक्षा : मीना मंच का गठन तथा उसे सक्रिय करने से बालिकाओं की सोच, व्यवहार में बदलाव, आत्मनिर्भर बनने की भावना जाग्रत हुई.. मेरी प्रेरणा से अधिकांश बालिकायें सिलाई भी सीखने लगीl
7- आडियो विडियो एवं आई.सी. टी. :-
रेडियो के कार्यक्रम आओ अंग्रेजी सीखें, मीना की दुनिया, मन की बात तथा दीक्षा ऐप से मोबाइल में विषयगत पाठ की पढ़ाई, पैन ड्राइव से स्वयं के लैपटॉप से बच्चों का ज्ञानात्मक विकास लगातार हो रहा हैl
8- स्वयं का नवाचार: लगातार तीन दिन अनुपस्थित होने वाले बच्चों को स्कूल में आने के बाद स्कूल में एक पौधा लगाना होता है, 15 दिन तक उसकी देखभाल तथा उसके बारे में 5 वाक्य लिखने के नियम से विद्यालय में बच्चों का ठहराव बढ़ा साथ ही विद्यालय भी हरा - भरा होता गया। जिससे अब अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में लापरवाही नहीं करते हैं।
9- सहायक अध्यापक का सहयोग :-- सितंबर- 2016 में सहायक अध्यापक शुभम श्रीवास्तव एवं 2018 में म्यूचुअल ट्रान्सफर से अभिषेक कुमार मौर्य की नियुक्ती विद्यालय पर हुई, उनके आने के बाद कक्षाओं को सुचारू रूप से संचालित करने में सहायता प्राप्त हुई।
10- गतिविधियां :- बच्चों को खेल व गतिविधियों द्वारा विषय को समझने में आसानी होती है, बाद में किताब से पाठ पढ़ाने से वह स्थाई हो जाता है l
11- जनप्रतिनिधि का सहयोग :-- 1..पूर्व ग्राम प्रधान से विद्यालय का गेट मरम्मत तथा वर्तमान प्रधान से बाउंड्री मरम्मत, रंगाई पुताई, कायाकल्प में सहयोग लिया गया l
2..जिला उद्योग व्यापार मंडल ने बच्चों के लिए स्टेशनरी एवं मूलभूत सुविधा के लिए विद्यालय को सहयोग देने को कहा है l
12- कंपोजिट ग्रांट का सदुपयोग :- कंपोजिट ग्रांट से डस्टबिन गमले आदि क्रय करने के बाद मीटिंग में प्रस्ताव कर धन राशि से बच्चों के बैठने हेतु डेस्क एवं बेंच की व्यवस्था की गई है l
13- उपलब्धियां :-
1..सन-2015 में जिला स्तरीय बाल क्रीड़ा समारोह में पू०मा०वि० सिकटीहवा सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
2..सन् 2016 में तहसील स्तरीय क्रीड़ा समारोह में विद्यालय 'कबड्डी' बालक वर्ग में द्वितीय प्राप्त कियाl
3. स्वच्छ भारत मिशन के लिए सन् 2017 में तहसीलदार शोहरातगढ़ महोदय द्वारा मेरे विद्यालय को स्वच्छता के लिए पुरस्कृत किया गया।
4. सन् 2019 में पुनः तहसील तहसील स्तरीय क्रीड़ा समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम में मेरा विद्यालय प्रथम स्थान प्राप्त किया।
14- पुरस्कार :--1.. 2018 में एक स्वयंसेवी संस्था के सर्वे में मुझे विद्यालय अनुशासन एवं नवाचारी शिक्षक प्रयोग के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री राम सिंह के द्वारा शिक्षक दिवस पर *डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन* सम्मान' से प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
2. जिला उद्योग व्यापार मंडल, सिद्धार्थनगर द्वारा स्वच्छ विद्यालय तथा नवाचार के लिए मोमेंटो व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गयाl
3. कपिलवस्तु महोत्सव 2019 में मुझे एक बार पुनः नवाचारी शिक्षक के रूप में माननीय सांसद डुमरियागंज श्री जगदंबिका पाल जी के द्वारा मोमेंटो, प्रमाण पत्र एवं साल भेंट कर सम्मानित किया गया।
4..ग्राम प्रधान श्री अब्दुल कादिर के द्वारा उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
5..श्रीमान खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया है।

✏️संकलन एवं सहयोग:
दयाशंकर पाण्डेय
मिशन शिक्षण संवाद सिद्धार्थनगर
01-06-2020

नोट: मिशन शिक्षण संवाद में सहयोग और सुझाव के लिए वाट्सअप नम्बर - 9458278429

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