मेरा छात्र
अच्छा लगता है तेरा,
मुझे कनखियों से झाँकना।
क्या कर रही हैं मैम,
बार-बार यह जाँचना।।
चाहता है हर अक्षर पर,
पड़ जाए मेरी नजर।
हो जाता है बहुत बेचैन,
जब पकड़ूँ दूसरी कक्षा की डगर।।
चाहता है, हँसे तो मेरे साथ,
खेले, तो मेरे साथ।
हो प्रथम संबोधन मेरा ही,
भले, पड़ जाए मुझको डाँट।।
कभी टुकुर-टुकुर निहारते पकड़ा जाना
कर देता है उसे असहज।
वह आँखों में भर लेता है,
मैं हृदय में उसे रख लेती हूँ।।
तुम क्या सीखे मुझसे, यह तो
बतलाएगा, कभी दूर समय।
पर, तुझ निर्मल निश्छल 'संगी' ने,
मुझे बना दिया है भाव प्रवण।।
मुझे बना दिया है भाव प्रवण।।
रचयिता
संगीता बहुगुणा,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय जलगाँव,
विकास क्षेत्र-कर्णप्रयाग,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
मुझे कनखियों से झाँकना।
क्या कर रही हैं मैम,
बार-बार यह जाँचना।।
चाहता है हर अक्षर पर,
पड़ जाए मेरी नजर।
हो जाता है बहुत बेचैन,
जब पकड़ूँ दूसरी कक्षा की डगर।।
चाहता है, हँसे तो मेरे साथ,
खेले, तो मेरे साथ।
हो प्रथम संबोधन मेरा ही,
भले, पड़ जाए मुझको डाँट।।
कभी टुकुर-टुकुर निहारते पकड़ा जाना
कर देता है उसे असहज।
वह आँखों में भर लेता है,
मैं हृदय में उसे रख लेती हूँ।।
तुम क्या सीखे मुझसे, यह तो
बतलाएगा, कभी दूर समय।
पर, तुझ निर्मल निश्छल 'संगी' ने,
मुझे बना दिया है भाव प्रवण।।
मुझे बना दिया है भाव प्रवण।।
रचयिता
संगीता बहुगुणा,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय जलगाँव,
विकास क्षेत्र-कर्णप्रयाग,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
वाह!!!!
ReplyDelete🙏🙏
Deleteविचार शक्ति में मेरी रचना को स्थान देने के लिए मिशन शिक्षण संवाद का बहुत बहुत धन्यवाद, आभार,,,, 🙏🙏
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteशानदार
ReplyDelete