चिड़िया रानी

चिड़िया रानी, बड़ी सयानी,
चुगती दाना, पीती पानी।

कभी डाल पर बैठ चहचहाती,
तो कभी देख उड़ जाती है।

खुले आसमान में उड़ती रहती,
नहीं कभी ऊँचाई से डरती।

पर्वत भी ना उसको रोक पाए,
आज़ाद हो हवा में उड़ती जाए।

सागर की गहराई को भी लांघे,
हो निडर आगे बढ़ते ही जाए।

सुबह होते ही खाने की खोज में  उड़  जाती,
दूर -दूर तक उड़कर खाना लेकर आती।

सुबह सवेरे दूर देश तक उड़कर जाती,
शाम होते ही घर को वापस आ जाती।

मिला भोजन तो खाकर मौज उड़ाती,
नहीं मिला तो डाल पर बैठ गाना गाती।

चिड़िया रानी, बड़ी सयानी,
चुगती दाना, पीती पानी।

रचयिता
शिराज़ अहमद,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय ददरा,          
विकास खण्ड-मड़ियाहूं,
जनपद-जौनपुर।

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