मेरे प्यारे

नित-नित पूछें मेरे प्यारे,
स्कूल कब हम आएँगे।
मैंने कहा -प्यारे बच्चों,
और कुछ दिन रुक जाएँगे।
           भयंकर सी एक बीमारी,
            विश्व भर में आयी है।
            जिसके चलते देश भर में,
            यह महामारी छायी है।
घर में रहकर अभी तुम सबको,
और पढ़ाई करनी है।
ध्यान सफाई का रख करके,
जंग जरूरी लड़नी है।
          फिर सब कुछ खुशहाल होगा,
          गली, शहर आबाद होगा।
          बीमारी को भगाएँगे,
          खुशियाँ फिर से मनाएँगे।
नन्हें मुन्ने मेरे प्यारों,
घर में रहकर काम करो।
खेलो कूदो घर के अंदर,
हैंडवाश और आराम करो।
          लौटेंगी बहारें विश्वभर में,
          कैद नहीं रहेंगे घर में।
           तब हम स्कूल आएँगे,
           खेलेंगे फिर धूम मचाएँगे।

रचयिता
बबली सेंजवाल,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैंण,
विकास खण्ड-गैरसैंण 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

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