योग सच्चा साथी
योग दिवस की पूर्व संध्या पर,
सबका मिलकर अभिनन्दन है।
योग करे निरोग सभी को,
इसका मिलकर वन्दन हो।
बना लो सच्चा साथी योग को,
भगा दे जो पल भर में रोग को।
अनेक प्रकार के हैं आसन,
जिनके हैं नाम भिन्न- भिन्न।
मनुष्य के शरीर को,
मिलता इससे आराम है।
हर रोज करें जो मन से योग,
पल भर में दूर हो जाते सब रोग।
भूख लगे इससे भली,
पाचन शक्ति सही बढ़ाता है
दूर करे हर बीमारी को,
अपना लो सच्चे मन से इसको।
जिसने भी योग अपनाया है,
जीवन में उसने आराम पाया है।
एक योग करे निरोग जो,
इसकी अलख जलाएँगे।
बच्चे, बूढ़े और जवान,
सबको योग सिखाएँगे।
ऋषि मुनियों का सच्चा साथी,
युगों- युगों से छाया है।
इस भागादौडी़ के जीवन को,
इसने सफल बनाया है।
कहा है गीता में श्रीकृष्ण ने,
योग: कर्मसु कौशलम्।
जग को और सुन्दर बनाएँगे,
योग करें मिलकर हम।।
रचयिता
देवेश्वरी सेमवाल,
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कान्दी,
विकास खण्ड अगस्त्यमुनि,
जनपद-रुद्रप्रयाग,
उत्तराखण्ड।
सबका मिलकर अभिनन्दन है।
योग करे निरोग सभी को,
इसका मिलकर वन्दन हो।
बना लो सच्चा साथी योग को,
भगा दे जो पल भर में रोग को।
अनेक प्रकार के हैं आसन,
जिनके हैं नाम भिन्न- भिन्न।
मनुष्य के शरीर को,
मिलता इससे आराम है।
हर रोज करें जो मन से योग,
पल भर में दूर हो जाते सब रोग।
भूख लगे इससे भली,
पाचन शक्ति सही बढ़ाता है
दूर करे हर बीमारी को,
अपना लो सच्चे मन से इसको।
जिसने भी योग अपनाया है,
जीवन में उसने आराम पाया है।
एक योग करे निरोग जो,
इसकी अलख जलाएँगे।
बच्चे, बूढ़े और जवान,
सबको योग सिखाएँगे।
ऋषि मुनियों का सच्चा साथी,
युगों- युगों से छाया है।
इस भागादौडी़ के जीवन को,
इसने सफल बनाया है।
कहा है गीता में श्रीकृष्ण ने,
योग: कर्मसु कौशलम्।
जग को और सुन्दर बनाएँगे,
योग करें मिलकर हम।।
रचयिता
देवेश्वरी सेमवाल,
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कान्दी,
विकास खण्ड अगस्त्यमुनि,
जनपद-रुद्रप्रयाग,
उत्तराखण्ड।
सुन्दर रचना
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