पानी

पानी के बारे में आओ सब कुछ तुम्हें बताएँ।
पानी के हैं रूप कितने ए सब तुम्हें सिखाएँ।।

             ठोस

पानी का पहला रूप ठोस रूप में होता है।
होता है यह बर्फ रूप में, चाँदी सा चमका जाता है।

इसका आकार है  निश्चित  होता।
ताप बढ़ने पर गलता जाता है।।

ऊपर से होता है ठण्डा, अन्दर ऊष्मा छुपी हुई।
ए छुपी हुई ऊष्मा ही, गुप्त ऊष्मा कहलाता है।।

                द्रव
पानी का दूसरा रूप द्रव रूप में होता है।
जिस बर्तन में रखते इसको उसी रूप का हो जाता है।।

नदियों, नहरों में ए आगे बढ़ता जाता है।
तालाबों, झीलों में खूब ए लहराता है।।

खेत सिंचाई, जीव जन्तुओं के पीने के काम आता है।
बिन पानी के सारा धरती सूना हो जाता है।।

                गैस

पानी का तीसरा रूप गैस रूप में होता है।
गर्म करो जब पानी को तो वाष्प बन जाता है।।

वाष्प बनकर पानी, आकाश में उड़ जाता है।
आकाश में जाकर एक दिन बादल बन जाता है।।

बादल से फिर पानी बनकर द्रव रूप में आता है।
धरती की फिर प्यास मिटाए, जल जीवन बन जाता है।।

रचयिता 
कमलेश प्रसाद वर्मा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रिकेबीपुर,
विकास खण्ड-रामपुर,
जनपद-जौनपुर।

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