प्यारी बिल्ली

इक सुंदर सलोनी प्यारी बिल्ली,
मेरे घर आँगन में खेल रही थी।

कभी टुकुर-टुकुर देखती मुझे,
कभी धमाचौकड़ी मचाती थी।।

सुंदर घनेरी पूँछ घुमाती बिल्ली,
पास जाते ही दूर भाग जाती थी,

घर में रखी मलाई चट कर जाती,
नाच दिखाकर हमें चिढ़ाती थी।

खतरे को पास आता देखकर,
चुपके से कोने में छुप जाती थी।

वह बड़ी सयानी दबे पाँव आती,
म्याऊँ-म्याऊँ कर हमें डराती थी।

मैं करता था शिकायत मम्मी से,
जब मेरे हिस्से का दूध पी जाती थी।

देह पर लेकर सुंदर-सुंदर धारियाँ,
वह हम-सब की राजदुलारी थी।

इक सुंदर सलोनी प्यारी बिल्ली,
मेरे घर आँगन में खेल रही थी।

रचयिता
नवनीत शुक्ल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भैरवां द्वितीय,
शिक्षा क्षेत्र-हसवा,
जनपद-फतेहपुर।

Comments

Post a Comment

Total Pageviews

1164377