आओ सीखें पर्यायवाची
स्वागत कहो, सत्कार कहो, आवभगत कहो या अभिवादन
अपने अतिथि के सम्मान में दिल खोल करो अभिनंदन
भू कहो, भूमि कहो, धरती कहो या धरा
पर्यायवाची हैं सभी जमीन हो या वसुंधरा
सूर्य कहो, रवि कहो, भानु कहो या भास्कर करो कठिन परिश्रम दिनकर की गर्मी में तप कर
वृक्ष कहो, तरु कहो, विटप कहो या पेड़ निज कार्य करो पुन: सुस्ता कर दरख्त की छाया बैठ
पंकज कहो, जलज कहो, सरोज कहो या कमल उत्पन्न हुआ पदम मिला कीचड़ संग जहाँ जल
नदी कहो, वारि, कहो सरिता कहो या तरंगिणी अपने ही प्रवाह में बहती जाए निर्झरिणी
मेघ कहो, घन कहो, बादल कहो या अंबुधर प्रसन्न हो जाए मन मयूर बरस जाए जब अंबुद
पर्वत कहो, पहाड़ कहो, गिरी कहो या धराधर अचल वही, शैल वही, विशालकाय है भूधर
पुष्प कहो, कुसुम कहो, फूल कहो या सुमन गुल खिले, फूल खिले, मंजरी को देख हुआ मन प्रसन्न
जल कहो, पानी कहो, अंबु कहो या नीर सलिल वही वारि वही और वही है क्षीर
आकाश कहो, अंबर कहो, नभ कहो या आसमान सपने देखो छू जाओ फलक कहो या गगन
मेहमान कहो, अभ्यागत कहो, आगंतुक कहो या पाहुना अतिथि शब्द का तो अर्थ यही जानें की तिथि जानें ना
धनी कहो, रईस कहो, दौलतमंद या मालदार असली रईस तो वही है जिसने पाए अच्छे संस्कार
अली कहो, भौंरा कहो, भ्रमर कहो या अलिंद भृंग है, मधुकर है, मधुप है, वही मिलिंद
रचयिता
रेनू चौधरी,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय असालतनगर,
विकास खण्ड-मुरादनगर,
जनपद-गाजियाबाद।
अपने अतिथि के सम्मान में दिल खोल करो अभिनंदन
भू कहो, भूमि कहो, धरती कहो या धरा
पर्यायवाची हैं सभी जमीन हो या वसुंधरा
सूर्य कहो, रवि कहो, भानु कहो या भास्कर करो कठिन परिश्रम दिनकर की गर्मी में तप कर
वृक्ष कहो, तरु कहो, विटप कहो या पेड़ निज कार्य करो पुन: सुस्ता कर दरख्त की छाया बैठ
पंकज कहो, जलज कहो, सरोज कहो या कमल उत्पन्न हुआ पदम मिला कीचड़ संग जहाँ जल
नदी कहो, वारि, कहो सरिता कहो या तरंगिणी अपने ही प्रवाह में बहती जाए निर्झरिणी
मेघ कहो, घन कहो, बादल कहो या अंबुधर प्रसन्न हो जाए मन मयूर बरस जाए जब अंबुद
पर्वत कहो, पहाड़ कहो, गिरी कहो या धराधर अचल वही, शैल वही, विशालकाय है भूधर
पुष्प कहो, कुसुम कहो, फूल कहो या सुमन गुल खिले, फूल खिले, मंजरी को देख हुआ मन प्रसन्न
जल कहो, पानी कहो, अंबु कहो या नीर सलिल वही वारि वही और वही है क्षीर
आकाश कहो, अंबर कहो, नभ कहो या आसमान सपने देखो छू जाओ फलक कहो या गगन
मेहमान कहो, अभ्यागत कहो, आगंतुक कहो या पाहुना अतिथि शब्द का तो अर्थ यही जानें की तिथि जानें ना
धनी कहो, रईस कहो, दौलतमंद या मालदार असली रईस तो वही है जिसने पाए अच्छे संस्कार
अली कहो, भौंरा कहो, भ्रमर कहो या अलिंद भृंग है, मधुकर है, मधुप है, वही मिलिंद
रचयिता
रेनू चौधरी,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय असालतनगर,
विकास खण्ड-मुरादनगर,
जनपद-गाजियाबाद।
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