पिता
पिता ब्रह्मा का रूप है।
पिता सृष्टि का स्वरूप है।
पिता का रूप अनूप है।
पिता छाँव और धूप है।
पिता सर्वव्यापी प्रकाश है।
पिता जल थल नभ आकाश है।
पिता संतति मन विश्वास है।
पिता सुख सुकून आभास है।
पिता शक्ति संचित सार है।
पिता ही पालनहार है।
पिता हर जीवन की जरूरत है।
पिता श्रेष्ठ शक्ति कुदरत है।
पिता से जीवन पाया है।
पिता बरगद की छाया है।
पिता भवसागर पतवार है।
पिता ईश्वर का अवतार है।
पिता अंतर मन की शक्ति है।
पिता पूजा और भक्ति है।
पिता की मैं कृति हूँ।
पिता की ही आकृति हूँ।
पिता जीवन की हर आस है।
पिता पतझड़ में मधुमास है।
पिता मेरा विश्वास है।
पिता ही सृष्टि प्रकाश है।
पिता लौकिक जीवन दर्शक है।
पिता ही पथ प्रदर्शक है।
पिता सर्वशक्ति समर्थ है।
पिता ही जीवन अर्थ है।
पिता जीवन सुख विस्तार है।
पिता कष्टों का निस्तार है।
पिता जीवन का आधार है।
पिता धन वैभव अपार है।
पिता सृजन शक्ति साकार है।
पिता सृष्टि का विस्तार है।
पिता जीवन का उद्धार है।
पिता की महिमा अपार है।
पिता लौकिक जीवन दर्शक है।
पिता जैविक जीवन स्तम्भ है।
पिता ही कष्ट निकन्दन है।
पिता के चरणों में वंदन है।
पिता ही जीवन दाता है।
पिता ही घर में खुशियाँ लाता है।
हे पिता आप के चरणों में।
मेरा शत् शत् प्रणाम है।
रचयिता
कालिका प्रसाद सेमवाल,
प्रवक्ता,
डायट-रतूड़ा,
जनपद-रुद्रप्रयाग,
उत्तराखण्ड।
पिता सृष्टि का स्वरूप है।
पिता का रूप अनूप है।
पिता छाँव और धूप है।
पिता सर्वव्यापी प्रकाश है।
पिता जल थल नभ आकाश है।
पिता संतति मन विश्वास है।
पिता सुख सुकून आभास है।
पिता शक्ति संचित सार है।
पिता ही पालनहार है।
पिता हर जीवन की जरूरत है।
पिता श्रेष्ठ शक्ति कुदरत है।
पिता से जीवन पाया है।
पिता बरगद की छाया है।
पिता भवसागर पतवार है।
पिता ईश्वर का अवतार है।
पिता अंतर मन की शक्ति है।
पिता पूजा और भक्ति है।
पिता की मैं कृति हूँ।
पिता की ही आकृति हूँ।
पिता जीवन की हर आस है।
पिता पतझड़ में मधुमास है।
पिता मेरा विश्वास है।
पिता ही सृष्टि प्रकाश है।
पिता लौकिक जीवन दर्शक है।
पिता ही पथ प्रदर्शक है।
पिता सर्वशक्ति समर्थ है।
पिता ही जीवन अर्थ है।
पिता जीवन सुख विस्तार है।
पिता कष्टों का निस्तार है।
पिता जीवन का आधार है।
पिता धन वैभव अपार है।
पिता सृजन शक्ति साकार है।
पिता सृष्टि का विस्तार है।
पिता जीवन का उद्धार है।
पिता की महिमा अपार है।
पिता लौकिक जीवन दर्शक है।
पिता जैविक जीवन स्तम्भ है।
पिता ही कष्ट निकन्दन है।
पिता के चरणों में वंदन है।
पिता ही जीवन दाता है।
पिता ही घर में खुशियाँ लाता है।
हे पिता आप के चरणों में।
मेरा शत् शत् प्रणाम है।
रचयिता
कालिका प्रसाद सेमवाल,
प्रवक्ता,
डायट-रतूड़ा,
जनपद-रुद्रप्रयाग,
उत्तराखण्ड।
बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteबेहरीश रचना सर🙏🙏🙏
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