नशा मुक्त भारत
आज पूछती मातृभूमि यह,
क्यों युवा बदहाल है,
नशे के भ्रम में भ्रमित हुआ क्यों?
कैसा यह जंजाल है
लील रहा जीवन असंख्य,
यह कैसा बाजार है?
फँसता युवा इस दलदल में,
यह मृत्यु का कारोबार है।
लत इसकी सुरसा मुख जैसी,
प्रतिपल बढ़ती जाती है,
जकड़े जब यह युवाओं को,
बेकारी बढ़ती जाती है,
इसको पाने के खातिर फिर,
गुनाह कई हो जाते हैं,
दूषित समाज को करके फिर,
लाचार वो खुद बन जाते हैं।
कर्णधार फिर मातृभूमि के,
क्यों पथभ्रष्ट हुआ जाता,
समझदार भारत भविष्य,
क्यों इस बहाव में बह जाता।
चकाचौंध से भरा हुआ,
आखिर कैसा ये विकास है?
खोती जाती है नैतिकता,
यह किस प्रगति की आस है?
माँ की उस निश्छल ममता का,
कर्ज चुका नहीं पाते हैं,
पिता की सारी आशाओं पर,
पानी सा फेरते जाते हैं।
कुछ पल के आनंद की कीमत,
उनका सारा जीवन है,
जीवन कोई व्यर्थ नहीं,
सबसे मूल्यवान धन है।
देश और समाज की खातिर,
युवा को नशे से लड़ना होगा,
व्यसनों को त्याग कर सारे,
जीवन सार्थक करना होगा।।
रचयिता
पूनम दानू पुंडीर,
सहायक अध्यापक,
रा०प्रा०वि० गुडम स्टेट,
संकुल-तलवाड़ी,
विकास खण्ड-थराली,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
क्यों युवा बदहाल है,
नशे के भ्रम में भ्रमित हुआ क्यों?
कैसा यह जंजाल है
लील रहा जीवन असंख्य,
यह कैसा बाजार है?
फँसता युवा इस दलदल में,
यह मृत्यु का कारोबार है।
लत इसकी सुरसा मुख जैसी,
प्रतिपल बढ़ती जाती है,
जकड़े जब यह युवाओं को,
बेकारी बढ़ती जाती है,
इसको पाने के खातिर फिर,
गुनाह कई हो जाते हैं,
दूषित समाज को करके फिर,
लाचार वो खुद बन जाते हैं।
कर्णधार फिर मातृभूमि के,
क्यों पथभ्रष्ट हुआ जाता,
समझदार भारत भविष्य,
क्यों इस बहाव में बह जाता।
चकाचौंध से भरा हुआ,
आखिर कैसा ये विकास है?
खोती जाती है नैतिकता,
यह किस प्रगति की आस है?
माँ की उस निश्छल ममता का,
कर्ज चुका नहीं पाते हैं,
पिता की सारी आशाओं पर,
पानी सा फेरते जाते हैं।
कुछ पल के आनंद की कीमत,
उनका सारा जीवन है,
जीवन कोई व्यर्थ नहीं,
सबसे मूल्यवान धन है।
देश और समाज की खातिर,
युवा को नशे से लड़ना होगा,
व्यसनों को त्याग कर सारे,
जीवन सार्थक करना होगा।।
रचयिता
पूनम दानू पुंडीर,
सहायक अध्यापक,
रा०प्रा०वि० गुडम स्टेट,
संकुल-तलवाड़ी,
विकास खण्ड-थराली,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
सुन्दर रचना
ReplyDeleteअभार mam🙏🙏🙏
Deleteतुम्हारी गजब काव्य रचना के लिए हमें भी वाह वाह करना होगा। बहुत सुंदर रचना, भावों और शब्दों को पिरोने की अद्भुत कला है तुम्हारी।
ReplyDeleteअपने इतने सुंदर तरीके से उत्साहवर्धन किया कि। आभार प्रकट करने को शब्द नहीं हैं। 🙏🙏🙏🙏❤️
Deleteहार्दिक धन्यवाद🙏🙏🙏
ReplyDeleteवर्तमान परिप्रेक्ष्य में बहुत ही सटीक काव्य रचना ।।अदभुत।।
ReplyDeleteसुंदर समीक्षा के लिए हार्दिक धन्यवाद🙏🙏🙏
ReplyDeleteWonderful picturization ...
ReplyDeleteBest lines for current scenario....!!🙏
ReplyDeleteVery Nice ...Keep it up ...
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