जल चक्र

सूरज ने जब गर्मी फेंकी,
तापमान हर ओर बढ़ा,
तब पानी की भाप बनी,
उड़ आकाश की ओर चला।
       
         पानी की वो भाप इकट्ठा,
         बादल बनकर होती है,
         फिर थोड़ी सी ठंडी होकर
         जल रूप में वापस होती है।

फिर छोटे-छोटे जल बिंदु,
हवा के संग- संग उड़ते हैं,
तापमान में कमी मिले तब,
भारी होकर गिरते हैं।
         
           इसी तरह ये नमी हवा की,
           बरखा बनकर आती है,
           जल बूँदें फिर से हम सबको,
           जीवन देकर जाती हैं।।

रचयिता
सुधा,
जिला गाइड कैप्टन,
जनपद-गाजियाबाद।

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