क्या है योग

गुरु शिष्य परम्परा का दुर्लभ सूत्र है योग
महर्षि पतंजलि का ग्रंथ योगसूत्र है योग।
व्यक्तिगत चेतना आत्मा का मिलन योग
वैदिक संहिता में वृत्तियों का निरोध योग।
सिंधु घाटी सभ्यता में समाधि मुद्रा है योग
ज्ञानेंद्रियों के निवारण की उच्चतम तंद्रा  योग।
भारतीय संप्रदायों में साधनाओं का प्रदर्शन योग
शिव संहिता में समाई सम्पूर्ण शिक्षा है योग।
भगवान शिव का वामयोग या तंत्र दीक्षा है योग
मनुष्य पशु, पशुता को समझने का सन्मार्ग योग।
जागरण, अभ्यास और समर्पण का मार्ग योग
गीता में श्रीकृष्ण के कर्मों में कुशलता है योग।
जीवात्मा और परमात्मा के मिलन की सहजता योग
श्लोकों के आधार पर चार प्रकार का होता योग...
उच्चारण, लय, ताल का सही अनुपात मंत्रयोग
सूर्य और चंद्रमा की समान अवस्था है हठयोग
हमेशा ब्रह्म में लीन रहे ऐसी चित्त साधना लययोग
अष्टांग योग की परिकल्पना सर्वधर्म सार राजयोग
ज्ञान, कर्म और भक्ति का सुन्दर मेल योग
शरीर, मन, आत्मा का सही सन्तुलन है योग।
पैशाचिक प्रवृत्तियों का सम्पूर्ण उन्मूलन योग
खुद से खुद को मिलाने का दुर्लभ साधन योग।
रोग से निरोग की ओर जाने का संसाधन योग
रोग से निरोग की ओर जाने का संसाधन योग।

रचयिता
आरती रावत पुण्डीर,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय असिंगी,
विकास खण्ड-खिर्सू,
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।

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