विज्ञान

पर्दा उठा भ्रांतियों से,
और दिया सच्चा ज्ञान,
ऐसा सौभाग्य विज्ञान ने हमारा बना दिया,
घर बैठे हमें दुनिया दिखा दिया।।

जा पहुँचे हम आज वहाँ,
अंजान था हमसे हर पहलू जहाँ,
चाँद-सितारों की बातें जो कल तक झूठी थीं,
विज्ञान ने हमें चाँद तक पहुँचा दिया।।

जाना हैं हमने मंगल का रहस्य,
धरती तक को भी हमने नाप लिया,
अंधविश्वास की लड़ी टूटी,
विज्ञान ने ऐसा ज्ञान दिया।।

जीवन को भी आसान किया,
बना-बनाकर, नए संसाधनों का आविष्कार किया,
रात -दिन एक बन गया, विद्युत का जो निर्माण किया,
चिड़िया बनकर उड़ने का सपना, जहाज से सम्भव किया।।

ऐसा सौभाग्य विज्ञान ने हमारा बना दिया,
घर बैठे हमें दुनिया दिखा दिया।।

रचयिता
शालिनी सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय जानकीपुर,
विकास खण्ड-सिराथू,
जनपद-कौशाम्बी।

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