योग

पतंजलि ऋषि गुरु हमारे,
देश की वो शान हैं,
योग सिखाया समस्त विश्व को,
समस्त वेद महान हैं।

आठ अंगों से योग बना है,
दिया हमें यह गूढ़ ज्ञान,
यम, नियम, आसन, प्राणायाम,
प्रत्याहार, धारणा, समाधि और ध्यान।

जो समझे इन सभी को प्रतिदिन,
जीवन में जो करे प्रयोग,
रहे स्वस्थ व आनंदित वह,
पास न आने पाए रोग।

यम नियम चरित्र बनाये,
बुद्धि विवेक बनाये ध्यान,
पतंजलि के अष्टांग योग से,
मानव बन जाता है महान।

प्रतिदिन आसन स्फूर्ति जगाए,
प्राणायाम रखे निरोग,
स्वस्थ सुंदर हो काया अपनी,
यदि जीवन में अपनाएँ योग।

योग दिवस पर सभी शपथ लें,
प्रातः रोज करेंगे सब योग,
खुद को और अपने समाज को,
कर देंगें हम स्वस्थ निरोग।।

रचयिता
सीता टम्टा,
प्रधानाध्यापिका,
रा०प्रा०वि० सारेग्वाड़,
संकुल- गैरसैंण,
विकास खण्ड- गैरसैंण,
जनपद- चमोली,
उत्तराखण्ड।

Comments

  1. बेहतरीन कविता👌👌👌योग के सभी अंगों का जबरदस्त समावेश।

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  2. प्रभावशाली रचना।

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  3. उत्कृष्ट रचना

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  4. बहुत सुन्दर रचना

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