विद्यार्थी

शिक्षा के महत्व को जानो,
इसकी शक्ति को पहचानो,
शिक्षा को यदि तुम अपनाओ,
जीवन मे बढ़ते ही जाओ,

शिक्षा को जब हम अपनाएँ,
बनें आदमी से  इंसान,
जीवन सुखमय बनता जाए,
बनो देश के तुम अभिमान।

ज्ञान रूप की मंद पवन में,
तुम अपना जीवन महकाओ,
करके प्रतिपल कठिन तपस्या,
प्रगति पथ पर बढ़ते जाओ।

बनो अध्ययनशील सभी तुम,
आलस को सब दूर भगाएँ,
जैसे तपे आग में सोना,
तब ही तो शुद्ध हो पाए।

आत्मसात कर शिक्षा को फिर,
तुम अपने व्यवहार में लाना,
हो विनम्र जीवन में अपने,
प्रगति पथ पर बढ़ते जाना।

मातपिता को भी समझो तुम,
शिक्षक को देना सम्मान,
सर्वगुण सम्पन्न बनो तुम
भारत का भी बढ़े मान।

रचयिता
मंजुषा पुण्डीर,
सहायक अध्यापक,
राजकीय कन्या उच्च प्राथमिक विद्यालय सलियाणा,
संकुल- गैरसैंण,
विकास खण्ड- गैरसैंण,
जिला- चमोली,
उत्तराखण्ड।

Comments

  1. बहुत सुन्दर रचना

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  2. बहुत सुन्दर रचना

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  3. इस कविता में आपके महान कवि रूपी व्यक्तित्व की झलक देख रहा हूँ।
    अति सुन्दर।

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  4. 💟😊👍👌💞💞💖मैम जी आपने बहुत बहुत बहुत सुन्दर कविता बनाई है☺☺😊😊

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