गोवर्धन पूजा

बरस रहे थे मेघ घनघोर, 

नभ में थी चपला चहुँओर। 

जगा इंद्र में था अभिमान, 

मन में ली विनाश की ठान।। 


किया कान्हा ने चमत्कार, 

उठाया पर्वत गोवर्धन। 

बचाया पूरे गोकुल को, 

बचाये पशु-पक्षी व जन।। 


देख यह इंद्रदेव का भी, 

नष्ट हुआ फिर अहंकार। 

उसी दिन से गोवर्धन को, 

पूज रहा है यह संसार।। 


रचयिता

पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।



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