ले लो बाबू जी

तर्ज-दुश्मन ना करे दोस्त ने


मिट्टी के दिये मेरे कुछ ले लो बाबू जी,

बदले में चार पैसे हमें दे दो बाबू जी।


उम्मीदें आप सब से हम लगाए हैं,

दीवाली मनाने के सपने सजाए हैं।

बदले में चार पैसे हमें दे दो बाबू जी।

मिट्टी के दिये ओ ओ ओ..........


खाली हाथ जाएँगे तो बच्चे रोएँगे,

पत्नी भी मेरी घर में आँसू बहाएगी।

बदले में चार पैसे हमें दे दो बाबू जी।

मिट्टी के दिये ओ ओ ओ...........


कर दो रहम थोड़ा ना हमको रुलाओ,

दीपावली हमारी भी सुखमय बनाओ जी।

बदले में चार पैसे हमें दे दो बाबू जी।

मिट्टी के दिये ओ ओ ओ..........


देंगे हम दुआएँ तुम्हें लाखों बाबूजी,

भर जाए तेरी झोली ये दुआ है बाबूजी।

बदले में चार पैसे हमें दे दो बाबू जी।

मिट्टी के दिये ओ ओ ओ.........


छोड़ विदेशी समान स्वदेशी अपनाओ,

राष्ट्र धर्म अपना निभाओ तो बाबू जी।

बदले में चार पैसे हमें दे दो बाबू जी।

मिट्टी के दिये ओ ओ ओ .........


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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