शुभ रहे दीवाली

एक दीप शुभ रहे दीवाली,

एक  दीप  खुशहाली  का।

एक दीप घर घर हो रोशन,

दिया  जले  दीवाली   का।


एक दीप हो धन वैभव का,

सबके  घर   भंडार   भरे।

एक दीप निर्धन की कुटिया,

में  जगमग  उजियार  करें।


एक  दीप श्रद्धा  में जगमग

रमा उमा  गजनायक वंदन।

एक दीप  फिर अवधपुरी में

रामलला का हो अभिनन्दन।


एक दीप फिर मानवता का

अखिल विश्व विस्तार करें।

एक दीप से मिटे कलुषता

दुर्जन  मन व्यभिचार  हरे।


एक दीप उस वीर भूमि का

जहाँ  हुई  कुर्बान  जवानी।

एक  दीप  यश गान सुनाए,

भारत माँ की अमर कहानी।


एक दीप जन गण मन गाए,

जयतु भारती का जयकारा।

एक  दीप से  रहे अखंडित,

प्यारा   हिंदुस्तान   हमारा।


एक दीप खुशियाँ लेे आए

गम का सारा मिटे अंधेरा।

एक दीप मन आस जगाये

नव जीवन हो नया सबेरा।


एक दीप की तभी  पूर्णता,

जग जन जब खुशहाली है

कोई अगर धरा पर भूखा

क्या फिर पूर्ण  दीवाली है?


रचयिता

सीमा शुक्ला,

सहायक अध्यापक, 

प्राथमिक विद्यालय जलालपुर माफी,

विकास खण्ड-बीकापुर,

जनपद-अयोध्या।



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