देवउठनी एकादशी

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष होती एकादशी,

नाम दिया इसे देवउठनी एकादशी।

शालिग्राम, माता तुलसी का इस दिन विवाह,

मोक्ष प्राप्ति का माध्यम है ये एकादशी।।


सनातन धर्म में सब व्रतों में श्रेष्ठ है,

कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को है।

4 माह की योग निद्रा से जागते हैं विष्णु जी,

भगवान विष्णु को की जाती है तिथि ये समर्पित।।


सृष्टि का संचालन करते हैं विष्णु भगवान,

चतुर्मास की समाप्ति को बताते हैं विष्णु भगवान।

मांगलिक कार्यों का आरंभ इससे होता,

नमन हम सबका स्वीकारें विष्णु भगवान।।


अन्न का सेवन बताए हैं वर्जित,

चावल का सेवन भी होता अनुचित।

तन के साथ मन की सात्विकता जरूरी,

ब्रह्मचर्य का पालन बताते हैं उचित।।


तामसिक वृत्तियों का करें त्याग,

व्रत, पूजन, हवन से दिन का आगाज।

बड़े बुजुर्गों का अपमान नहीं स्वीकार्य,

ईश्वर का स्मरण करते हुए दिन करें व्यतीत।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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