प्रकाश उत्सव

आओ मिलकर 

प्रकाश उत्सव मनाएँ।


 आकाश गंगा को 

फिर धरा पर उतारें

उम्मीद की बाती सजाकर

साहस और ज्ञान का दीप जलाएँ

 

आओ मिलकर 

प्रकाश उत्सव मनाएँ


  कलुषता, तपन, द्वेष

 को मन से जलाएँ

 प्रेम स्नेह अपनत्व 

का फिर भाव जगाएँ


 आओ मिलकर 

प्रकाश उत्सव मनाएँ


 राम रुपी  सार को

 जीवन आधार बनाएँ।

मोह का हो  विछोह

 त्याग की  राह अपनाएँ।


 आओ मिलकर 

प्रकाश उत्सव मनाएँ।


 एक रंग हो धरा 

जगमग हर मन हो जाए।

 प्रार्थना, प्रथम पूज्य देव

 समृद्ध यह जग हो जाए।


 आओ मिलकर 

प्रकाश उत्सव मनाएँ।


रचयिता

सुधा गोस्वामी,
सहायक शिक्षिका,
प्रथमिक विद्यालय गौरिया खुर्द,
विकास क्षेत्र-गोसाईंगंज,
जनपद-लखनऊ।



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