विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस

धरती, सागर, नदियाँ, अम्बर,

सब अंग है पर्यावरण के।

चन्दा, सूरज, पशु और पक्षी,

सब जीवन रचते हैं मिल के।


हो धरा हमारी हरी-भरी,

जिसे देख के तन-मन झूमे।

मदमस्त मगन हो जाए प्रकृति,

बसुधा माँ खुश हो झूमे।


गंगाजल सा हो पावन जल,

इत्र सी महके प्यारी पवन।

पेड़ों की हर डाली चहके,

फूलों से महके सारा चमन।


जल, थल और नभचर सारे,

अम्बर में ऊँची उड़ान भरें।

बन जाए स्वर्ग ये धरा हमारी,

आओ मिलकर जतन करें।


हम सब आज ये कसम उठाएँ।

मिलकर वृक्ष हम लगाएँ।

प्रदूषण सारे जड़ से मिटाएँ,

स्वच्छ पर्यावरण बनाएँ।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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