कोरोना से संकट में किसान


जैसा कि सर्वविदित है कोरोना(COVID-19) वैश्विक महामारी ने समूचे विश्व के साथ-साथ भारत में भी तेजी से अपने पाँव पसारने शुरू कर दिये हैं। जिसके डर से 137 करोड़ की आबादी वाला देश सन्नाटे में है। हर गाँव, शहर, सड़कें और चौपाले सूनी हैं। हर व्यक्ति अपनी जान बचाने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहा है। कहा जा रहा है कि हर व्यक्ति को एक-दूसरे से कम से कम एक से डेढ़ मीटर की दूरी बनाकर रखनी चाहिए तथा बार-बार हाथ धोते रहना चाहिए जिससे हम वायरस को फैलने से रोक सकते हैं। केंद्र सरकार नें 24 मार्च से 21 दिनों के लिए भारतवर्ष को सम्पूर्ण लाकडाउन कर दिया है। लगभग कर्फ्यू जैसे हालात हो गये हैं, कुछ राज्यों ने कर्फ्यू ही लगा दिया है। जिसका सीधा असर किसानों पर देखने को मिल रहा है।वर्तमान समय में रबी की फसल की कटाई के साथ-साथ जायद की फसल की बुवाई का समय है परंतु सम्पूर्ण लॉकडाउन की वजह से किसानों की खेती प्रभावित हो रही है उन्हें खेती की जरूरत का सामान खाद, बीज, उर्वरक एवं कृषि रसायन इत्यादि उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं फलस्वरूप किसान बेहद परेशान है।
क्या हमें अंदाज है जो किसान अपने कठिन परिश्रम से पूरे देश का पेट पालता है उसके सामने कोरोना जैसी महामारी से आज कैसी भीषण आर्थिक समस्या के साथ-साथ भोजन की समस्या आन खड़ी हुई है। कृषि के साथ-साथ मजदूरी और अन्य व्यवसाय ठप्प हो गए हैं।
भारत कृषि प्रधान देश है। हमारे देश की 65% जनसंख्या का मुख्य व्यवसाय कृषि है। भारत के लगभग 85% कृषक लघु एवं सीमांत कृषक की श्रेणी में आते हैं जिनके  पास तीन एकड़ से कम जमीन है और उनकी उपज का अधिकतम पैसा ब्याज समेत कर्ज लौटने इत्यादि में ही खत्म हो जाता है। किसान खेती तथा मजदूरी करके अपना गुजारा करते हैं। एक तरफ जहाँ पिछले महीने भारत के कई हिस्सों में भीषण वर्षा एवं ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें बरबाद हो गई थीं। वहीं आज कोरोना महामारी ने किसानों को भीषण संकट में डाल दिया है।
केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों को किसानों की इन भीषण समस्याओं को ध्यान में रखते हुए व्यापक सोच के साथ कार्ययोजना बनाकर आर्थिक बजट स्वीकृत करना चाहिए तथा ऐसी व्यवस्थाएँ करनी चाहिए जिससे किसानों को सीधे तौर पर लाभ हो सके, उन्हें समस्याओं का सामना न करना पड़े और सम्पूर्ण राष्ट्र का पेट पालने वाला किसान आत्महत्या जैसी स्थिति पर पहुँचने को मजबूर न हों।
हमारी सरकारों ने पहले भी किसानों के हित के लिए कदम उठाये थे परंतु वे कदम वर्तमान स्थिति को देखते हुए काफी नहीं हैं।
क्या समझेंगे वो धनवान मोल तेरा,
हे माँ भारती के ज्येष्ठ पुत्र तुमको नमन।
तुम्हीं हो मानवता के पालनहार,
हे जगतपिता "किसान" तुमको नमन।।

लेखक
नवनीत शुक्ल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भैरवां द्वितीय,
शिक्षा क्षेत्र-हसवा,
जनपद-फतेहपुर।

Comments

  1. शानदार नवनीत भाई
    किसानों के बारे में अपनी बात रखने के लिए बहुत बहुत साधुवाद

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