चलें हम सब

चलें हम सब....
अब पूरी हिम्मत से अड़ जाएँ
कि हमें अपने लिए मुस्कुराना है........
कि हमें परिवार के लिए जिंदा रहना है
कि हमें अपने दोस्तों के साथ चलना है
कि हमें ...हम सबको ...
एक दूसरे के लिए जीना है....
कि हमें अपने डाक्टर्स को
धन्यवाद देना है..
कि हमें होली दीवाली मनानी है............
कि हमें अपनी असली पीढ़ी को
प्रकृति से प्रेम का पाठ पढ़ाना है

कि हमें अपने पूर्वजों का आशीर्वाद
फिर से पाना है..
कि हमें अपने विचारों को संवर्धित करना है..
कि हमें अपना विज्ञान और भी समृद्ध करना है....
कि हमें न्याय और समता की देवी को
सर्वसुलभ बनाना है..
और अंत में ......
कि हमें कविताओं से, बच्चों से चिड़ियों से,
फूलों से और हवा से
 प्यार करना है..
कि हमें प्यार के गीत गुनगुनाना है।
         
रचयिता
उषा सिंह,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय भड़सार,
विकास क्षेत्र-सहजनवां,
जनपद-गोरखपुर।

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