कोरोना पर क्या रोना

कोरोना महामारी आई,
अफवाहें फैला मानव हिय,
भारी भय भूत भरोना।
केऊ इक जंग महामारी की,
कर काबू भारत जीता,
कोरोना पर क्या रोना।
देश के वासी सब जन मिलकर
करो को रोना संग जंग,
कर देंगे इसको बौना।
इससे जंग तभी जीतोगे,
कर प्रचार-प्रसार का पालन,
धर्य कभी न खोना।
हो परिचित या कोई अपरिचित,
दूरी से प्रणाम करो,
गले न मिल नमन करो ना।
घर बैठो ना करो यात्रा,
भीड़ पास ना जाओ,
हर 2 घंटे बाद साबुन से कर धोना।
नित पूरे दिन मुख मास्क लगा,
कोरोना से यही सुरक्षा,
ना दारू पी न पउवा पौना।
अर्जी सरकारों से मेरी,
मास्क मंँगा बँटवा दो घर-घर,
ना बचे देश का कोई कोना।
ना कोई भारी लागत,
ना दहशत में देश,
न कोरोना से ग्रसित कोई मानव खोना।
सस्ता सरल उपाय यही सब,
कोरोना से बच नंदन,
नित पैर पसार के सोना।

रचयिता 
रघुनंदन प्रसाद,
सेवानिवृत्त शिक्षक,
वार्ड जेपी नगर गोहांड,
जनपद-हमीरपुर।

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