सुन कोरोना

समझ न इसको ऐसी वैसी,
तपोभूमि है कोना-कोना।
इस भारत की धरती पर दम,
तोड़ेगा तू सुन कोरोना।।

माना दुश्मन बहुत प्रबल है,
पर हिम्मत से लड़ना होगा।
लिए स्वच्छता की तलवारें,
इसके सिर पर चढ़ना होगा।।

हमने कितनी जंगें जीती,
यूँ नैनों में नीर भरो ना।
इस भारत की धरती पर,
दम तोड़ेगा तू सुन कोरोना।।

हम नियमों को अपनाकर ही,
इससे दो-दो हाथ करेंगे।
अब तो घर पर रह करके ही,
इससे अपनी जंग लड़ेंगे।।

हारेगा निश्चित ये हमसे,
बिना वजह तुम यार डरो ना।
इस भारत की धरती पर दम,
तोड़ेगा तू सुन कोरोना।।

दुनिया का दुख हरने वाले,
महादेव की ये धरती है।
अपनी संतानों का ये माँ,
उदर सदा यूँ ही भरती है।।

कोप किया यदि इस जननी ने,
यहीं मरेगा तू कोरोना।
इस भारत की धरती पर दम,
तू तोड़ेगा सुन कोरोना।।

केवल घर पर रहकर ही अब,
इस दुश्मन को हम मारेंगे।
कुछ दूरी लोगों से रखकर,
इस विपदा को हम टारेंगे।।

ये काँटों का बिस्तर है सुन,
मत समझो मखमली बिछौना।
इस भारत की धरती पर दम,
तोड़ेगा तू सुन कोरोना।।

रचयिता
प्रदीप कुमार चौहान,
प्रधानाध्यापक,
मॉडल प्राइमरी स्कूल कलाई,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।

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