आ गया नववर्ष

आ गया नववर्ष,
जिसका इन्तजार था।
खुशियों का ठिकाना ना,
मन में बेहद प्यार था॥
हिन्दू हैं हम तो क्यों ना,
ये पर्व मनाएँ।
वेदों में वर्णित ये प्रथा,
क्यों ना अपनाएँ॥

अंग्रेजी नववर्ष को,
धूमधाम से मनाते हैं।
अपने इस महापर्व को,
लोग अक्सर भूल जाते हैं॥
नई चाहतें, नई उम्मीदें,
नई कल्पना, नई उमंग।
सब कुछ नया सा लगता,
दुनिया बदल रही है़ रंग॥

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में,
आता ये नववर्ष।
सबके मन में प्रेम उमड़ता
और उमड़ता हर्ष॥
नौ रूप माँ दुर्गा के,
भक्तों पे लुटाती प्यार।
नए साल के साथ मनाओ,
नवरात्रि का त्योहार॥

माँ के चरणों में झुकता है़,
ये सारा संसार।
पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल
और सोलह श्रृंगार॥
पूजन करते नर नारी,
पहनाते पुष्पों का हार।
कन्याओं को भोग लगाते,
मन में खुशी अपार॥

इन नौ दिनों में माता के,
होते हैं नौ स्वरूप।
चेहरे से अनुपम तेज निखरता,
सुन्दर लगता रूप॥
एक बार सब मिलकर माँ का,
जयकारा लगाएँ।
नवरात्रि और नववर्ष की,
हार्दिक शुभकामनाएँ॥

रचयिता
मन्जू शर्मा,
सहायक अध्यापिका, 
प्राथमिक विद्यालय नगला जगराम,
विकास खण्ड-सादाबाद,
जनपद-हाथरस।

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