कोरोना

धीरे-धीरे बमों की बौछार कर रहा है।
कोरोना देखो सब पर प्रहार कर रहा है।

अभी समय है खुद को घरों में कैद कर लो,
घूमने वालों से हाथ दो चार कर रहा है।

सफाई, माॅस्क व एकांतवास को अपनी ढाल बना लो,
बिना ढाल वालों पर ही तो वो वार कर रहा है।

चलो अब सब अपनी ढालों को हाथों में ले लो,
वो भी अपनी खड्ग की तेज धार कर रहा है।

देश दुनिया के कत्ल की वजह तुम मत बनो,
तुम्हारे सहारे वो सब पर अत्याचार कर रहा है।

उससे लड़ने को संख्या बल की जरूरत नहीं,
लोग इकट्ठा हों इसी का तो वह इंतजार कर रहा है।

घरों में बंद रहो बाजार मत जाओ,
क्योंकि वो बंद बाजार कर रहा है।

सबको मालूम है उससे लड़ने का तरीका,
फिर भी हर कोई हा हा कार कर रहा है।

बिना बुलाए आपके घर नहीं आता,
इतना आप पर उपकार कर रहा है।

शायद उसको दिखाई देने लगी अपनी हार,
इसलिये वह पीठ दिखा भागने पर विचार कर रहा है।

रचयिता
सोमपाल सिंह प्रजापति "सोम",
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ओखलढूंगा,
विकास खण्ड-कोटाबाग,
जनपद-नैनीताल,
उत्तराखण्ड।

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