गौरैया को बचाएँ हम

गौरैया को हम बचाएँ,
मिलकर सब कसम खाएँ।
फुदक -फुदक  कर नाच दिखाए,
घर-आँगन को चहकाये।

लुप्त होने की कगार पर पहुँची
फिर न होगी घर द्वार पर चीं -चीं।
20 मार्च को गौरैया दिवस मनाएँ,
जन -जन में जागरूकता लाएँ।

2010 से मुहिम शुरू हुई,
अभी भी न देर हुई।
20 मार्च का न इंतज़ार करेंगे,
प्रयास अब हम रोज करेंगे।

सम्भल अगर हम जाएँगे,
गौरैया को हम बचाएँगे।
अगर सभी जुट जाएँगे,
विलुप्त होने से बचाएँगे।

आवाज है सबका मन मोहती,
सबके होंठो पर मुस्कान है लाती।
औऱ किसी को कुछ न कहती,
कोई बुलाये तो फुर्र हो जाती।

शरीर मे चंचल और फुर्तीली भी,
सब कुछ खाती, सर्वाहारी भी।
4 से 7 साल की जीवन कहानी,
इन्हें बचाने की है ठानी।

अगली पीढ़ी को सुनाएँ,
गौरैया की कहानी।
आने वाली पीढ़ी के लिए,
गौरैया को है बचानी।

कहीं गुम न हो जाए,
चहकती दुनिया सारी।
छत पर रखे दाना-पानी,
दूर हो जाए दुविधा सारी।

घर मे घोंसला बनाने दो,
घर-आँगन में चहकने दो।
ज्यादा हमें न कुछ करना,
दाना-पानी का इंतजाम है करना।

मिलकर प्रकृति को बचाएँगे,
पेड़ के घोंसले न उजाड़े हम।
इतना सा फर्ज निभाएँ हम,
गौरैया को बचाएँ हम।

रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।

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