है नमन उनको

है नमन उनको, जो कुर्बानी अपनी दे गए,
है नमन उनको, जो आज़ादी की कहानी कह गए,
लहू से उनके ये धरा, आज भी इस कदर लाल है,
है नमन उनको, जो अपनी जवानी खो गए।
क्रांति का जुनून वो, आज़ादी का तूफ़ान थे,
सरफ़रोशी की शमा, तिरंगे का अरमान थे,
है नमन उनको, जो देश की खातिर दीवाने हो गए,
है नमन उनको, जो भारत की निशानी हो गए।
मातृभूमि की आबरू, जिनके दिलों की शान थी,
नशा जिन्हें स्वाधीनता का, देशभक्ति उनकी आन थी,
है नमन उनको, जो भारत माँ पे बलिदान हो गए
है नमन उनको, जो जवानी में अपनी जान दे गए।
देकर सलामी करते वादा, कर्तव्य अपना निभाएँगे,
कर्म जो भी है हमारा, आखिरी साँस तक करते जाएँगे,
है नमन उनको, आज़ादी की गाथा गढ़ गए,
है नमन उनको, हँसते-हँसते फाँसी चढ़ गए।

रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मसेनी(बालक) अंग्रेजी माध्यम,
विकास खण्ड-बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।

Comments

Total Pageviews