आया दिवस फागुन का

मन मयूरा नृत्य करता आया दिवस फागुन का है,
इन्द्रधनुषी रंग रंगाई वसुधा गगन भीगें नर-नारी जन,                सर्वत्र रंगाये नेह से तन मन आया दिवस फागुन का है,                    बसन्त ऋतु की लालिमा संग लाती प्रेम, स्नेह, ममता, ख़ुशी, आशीष, कीर्ति सत्कार, यश।             
मन गेह की सौंधी खुशबू में खोया आया दिवस फागुन का है।                    जिस रंग से पुलकित छटा सर्वत्र स्नेहिल कर गई,                    दुःख, कष्ट, विषाद मिटा के सबको संग स्नेह रंग में रंग गई।।
करबद्ध हूँ आशीष की आकांक्षा लिये इस ठौर में  है वरदहस्त अनुजों पे मेरा शुभ स्नेहिल ममतामयी कर खोल के'                    सब सतत् प्रतिपल सफल हो।।         
अधरों पर तबस्सुम सजे'                   
मम् ईश श्याम गिरधर प्रभु सुन लो अरज इस दासी की।
जीवन सभी का हो खुशियों भरा'
आया दिवस फागुन का।।         

आप सभी अग्रज अनुज बन्धु बान्धव सभी को हम सबकी तरफ से होली की असीम 'अशेष 'अपरिमित बधाईयाँ और अनन्त शुभकामनाओं के साथ।     

रचयिता 
ममता प्रीति श्रीवास्तव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बेईली,
विकास खण्ड-बड़हलगंज,
जनपद-गोरखपुर।

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