फूलों जैसे महको तुम

फूलों जैसा निर्मल मन
फूलों जैसा निर्मल तन

फूलों जैसी बोली इनकी
फूलों जैसा है जीवन

फूलों जैसे सदा लहकते
फूलों जैसे सदा महकते

रहें फूल से  खिलते हरदम
चाँद-सितारों जैसे बच्चे

तुमसे ही शोभित उपवन है
तुमसे ही सुरभित नंदन है

जब तुम पढ़-लिख जाओगे
देश का मान बढ़ाओगे

अच्छे बच्चे सच्चे बच्चे
सबके बने सहारे बच्चे।

रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
जनपद-कासगंज।

Comments

Total Pageviews