जल है तो कल है

जल से जीवन, जल से उपवन
जल से ही महके सारा ये चमन

जल से मछली, जल से बिजली
जल से खिलती हर कली-कली

जल से मानव, जल से ये विहग
जल से चलता सारा ये जग

जल पर घोर रहा संकट है विकट
है निकट विनाश धरा का अब

मैं भी सक्षम, तू भी सक्षम
हैं लगाये बैठे पानी का मोटर

बहता नाली में पानी हरदम
इसको रोकने का कौन उठाये कदम

तुझसे ऊँची मेरी मूँछें
मुझसे ऊँची तेरी मूँछें
मूँछें अपनी झुकायेगा कौन

ये धरती भी अपनी,
ये जल भी अपना
प्रकृति है अपनी समझायेगा कौन

ना खुद के दिल पर वार करो
वाटर वॉर ना तैयार करो
वॉटर क्राइसिस है सर पर खड़ा
बच्चों का फ्यूचर ना बेकार करो

एक एक बूँद बचाओ जल की
यही तो मुख्य जरूरत है कल की

बिन पानी ना होगा यह चमन
अंगारे बरसे आएगा यह गगन

 ना रहेंगे यह पेड़,
 ना बचेगा कोई प्राणी
 ना होगी सुंदर सुबह
 ना रहेगी कागज की कश्ती की कहानी

बस वही जल है, जो निर्मल है
अवशेष तो समुद्र का मल है

निर्मल जल को बचाओ तुम
आने वाली पीढ़ी का भविष्य बनाओ तुम

बिन पानी रोएगा मुन्ना
बिन पानी ना मिलेगा गन्ना
बिन पानी ना बहेगी नदियाँ
बंजर हो जाएगी यह सुंदर धरा

आने वाले कल को सँवारे आज
जल संरक्षण का प्रण करें आज

मन में बस यही भावना प्रबल है
जल है तो कल है
जल है तो कल है।।

रचयिता
रीता गुप्ता,
सहायक अध्यापक, 
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नंबर-एक,
विकास क्षेत्र-साढोली कदीम,
जनपद-सहारनपुर।

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