अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेषांक,19,जमीला खातून ,झांसी

*👩🏻‍🏫अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेषांक*

*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*

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*👩‍👩‍👧‍👧महिला सशक्तिकरण- 19*
(दिनाँक- 26मार्च 2019)
*जमीला खातून*
बे प्रा पा गढ़धुरिया गंज
नगर क्षेत्र मऊरानीपुर झाँसी।

*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*
👉
   
जीवन के सफर में ए राही
आगे ही बढ़ते जाना है।
कुछ फूल मिलेंगे कुछ कांटे
दोनों को गले लगाना है।।
     ये मेरी एक कविता की दो पंक्तियाँ हैं।इनके अनुसार ही जब से मैने शिक्षिका जैसे महत्वपूर्ण  पद का  सफर शुरू किया तब से कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और ईश्वर की कृपा से परिस्थितियां अपने आप ही अनुकूल होती गईं।
   मेरे विद्यालय में मेरी नियुक्ति 3 मई 1988 को हुई। मैं तब से इसी विद्यालय में हूँ। मेरा विद्यालय नगर का सबसे पुराना विद्यालय है।यह 1937 से संचालित है। पर तारीफ की बात ये है कि इस विद्यालय को अभी तक अपनी बिल्डिंग नसीब नहीं हुई । पहले किराये के मकान में लगता था ।वह गिर जाने पर प्रा कटरा बालक स्कूल के दो एकल कक्षों में लगता है। यही दो कमरे कार्यालय यही क्लास रूम और यहीं पर बच्चों को खाना खिलाना पड़ता है।नामांकित बच्चे 170 जिनमें से 120 से 130 तक बच्चे रोज आते हैं।जब सभी बच्चे आ जाते हैं तब बहुत ही परेशानी होती है।
     जब हम इस विद्यालय में आये तब यहाँ की स्थिति बहुत ख़राब थी।यह विद्यालय कम और सार्वजनिक स्थल अधिक था।लोग शौचालयों को गन्दा कर जाते थे।दीवारों पर अश्लील शब्द लिख जाते थे। बाहरी लड़के आकर घण्टो मोबाईल पर बातें किया करते थे।जब मैने उन्हें मना किया तो वे मेरी शिकायत करने के लिए पत्रकार को ले आये।पर मैने भी उन्हें ऍफ़ आई आर कराने की धमकी दी तब जाकर उनकी समझ में आया आखिरकार उसने आकर माफ़ी मांगी और क़ानूनी कार्यवाही न करने का आग्रह किया।
   मैने अपने विद्यालय की प्रगति व् बच्चों के विकास के लिये जो कार्य किये है उनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:-
    कमरों की छत से पानी टपकता था इसलिए छत का प्लास्टर कराया।
    बेटी  बचाओ बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत सभी बालिकाओं को अपनी तरफ से स्वेटर टाई बेल्ट वितरित किये।
   2016 में सभी छात्र छात्राओं को अपनी तरफ से स्वेटर टाई बेल्ट व् आई कार्ड वितरित किये।
   अपने निजी करीब 39000 रूपये से बच्चों को बैठने के लिये लोहे का फर्नीचर मंगवाया।जिससे छात्रांकन में वृद्धि हुई।
    बच्चों के रूचि पूर्ण शिक्षण के लिए अपनी लेखनी को आधार बनाया। स्वयं कविता कहानियों की रचना की जो प्रतिष्ठित समाचार पत्र दैनिक जागरण में भी प्रकाशित हुईं।
       ब्लॉक स्तरीय टी एल एम् मेले में विद्यालय को तीसरा स्थान व् गणित में शबाना और लोकगीत में विवेक को पहला स्थान  मिला।
     विद्यालय में मदर्स डे बालिका दिवस  महिला दिवस और सभी त्योहारों को मनाकर सामाजिक सौहार्द को बढ़ाना।
    गर्मियों की छुट्टियों में समर कैम्प का आयोजन जिसमें जुडो कराटे मेंहदी रंगोली क्राफ्ट आदि सिखाना।
    पर्यावरण बचाने के लिए विद्यालय की पूर्व छात्राओं से विवाह के अवसर पर विद्यालय में वृक्षारोपण करना।ताकि याद रहें बेटियां।एक नई शरुआत।
     सामाजिक सहभागिता के अंतर्गत अतिथि शिक्षक का सहयोग।
     बाल प्रबन्ध समिति का गठन।जिसमें दो  दो छात्र गार्डन प्रभारी मिड डे मिल प्रभारी स्वच्छ्ता प्रभारी वितरण प्रभारी किताबें बेग ड्रेस जूता मोजा आदि के लिए और दो छात्राएं 1और 2 को पढ़ाने के लिए। क्योंकि हमारे यहाँ स्टाफ में सिर्फ मैं और मेरी शिक्षा मित्र ही हैं।
      पर्यावरण बचाने और पानी बचाने के लिये वृक्षारोपण करके बच्चों और अभिभावकों को जागरूक करना।
        बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास करने के लिये प्रार्थना सभा में रोज कविता कहानियों का वाचन और  बच्चों से ही सरस्वती मां के चित्र पर रोज अगरबत्ती लगवा कर दिन की शुरुआत।
    पूरे विद्यालय प्रांगण में वृक्षारोपण जिसकी देखभाल बच्चे ही पूरी जिम्मेदारी से करते हैं।
     पेड़ों की सिंचाई के लिए सबमर्सिबल पम्प लगवाया।
     बालसभा  व् अन्य अवसरों  के लिये माइक की व्यवस्था।
    जीरो निवेश से बच्चों द्वारा कबाड़ से जुगाड़ करके डी जे  सोलर सिस्टम व् टी एल एम् का निर्माण।
     बच्चों के बनाये चित्र व् अन्य प्रयास और विद्यालय के कार्य अक्सर समाचार पत्र में प्रकाशित होते हैं जिससे बच्चों का मनोबल बढ़ता है।
    इस साल मैंने 85 बच्चों का नामांकन कराया जिससे छात्रांकन 170 हो गया जो नगर क्षेत्र के विद्यालयों में सबसे अधिक है।
    मैने लोहा पीटा समुदाय के आउट ऑफ़ स्कूल 26 बच्चों का नामांकन अपने विद्यालय में किया और 2 दिव्यांग बच्चों को झाँसी के दिव्यांग स्कूल भेजा।
      मेरे विद्यालय के 5 बच्चे तो बालकवि बन गए हैं
    कुल मिला कर मैने अपने विद्यालय को रिसर्च सेंटर बना दिया है मेरे विद्यालय  के बच्चों में थोडा थोडा वह सब मिलेगा जो एक  विद्यालय में होना चाहिये और समाज  के विकास के लिए आवश्यक है।
          अंत में मैं कहना चाहूंगी कि जहाँ चाह वहां राह निकल ही आती है।अगर आप सच्चे मन से प्रयास करते हैं परिस्थितियां अपने आप ही अनुकूल हो जतिन हैं और सफलता और सम्मान जरूर मिलता है और बच्चों और अभिभावकों का प्यार मुफ़्त में मिलता है जो अनमोल होता है और बहुत सुकून देता है।

_✏संकलन_
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद।*

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