सभी चलो स्कूल

सभी चलो स्कूल रे भैय्या,
सभी चलो स्कूल रे बहना।
    खिलाने शिक्षा के मधुफूल।
     चलो पढ़ने चलें स्कूल।
छह से चौदह आयु तुम्हारी,
पढ़ने की है ये उमर तुम्हारी।
पढ़ना-लिखना बहुत जरूरी,
करो तुम सभी शिक्षा पूरी।
नाम लिखाओ आओ स्कूल।
     चलो पढ़ने चलें स्कूल।
अभी समय है पास तुम्हारे,
स्कूल खुला है गाँव तुम्हारे।
गुरु जी आए तुम्हें पढ़ाने,
बहिन जी आईं तुम्हें पढ़ाने।
मत करिए तुम कोई बहाने।
खेल खेल में शिक्षा है स्कूल।
     चलो पढ़ने चलें स्कूल।
नयी रीति से शिक्षा मिलती।
सबके मन जो खुशियाँ भरती।
रंग-बिरंगे जो फूल से न्यारे,
बड़े सजीले हैं स्कूल तुम्हारे।
प्यारा-प्यारा स्कूल तुम्हारा
 कभी न जाना तुम भूल।
      चलो पढ़ने चलें स्कूल।
अच्छे बच्चे बनो सभी तुम,
सच्चे मन से पढ़ो सभी तुम।
माता-पिता के तुम हो प्यारे,
घर के अपने राज दुलारे।
महकेगी फिर जीवन बगिया ,
खिला दो शिक्षा के फूल।
     चलो पढ़ने चलें स्कूल।।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

Comments

  1. शानदार कविता,,,स्पष्ट उद्देश्य के साथ रची गयी,,,मौलिक रचना की प्रस्तुति को बहुत बहुत बहुत साधुवाद

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