आओ बसन्त पंचमी मनाएँ

आओ बसंत पंचमी मनाएँ,
सरस्वती माँ को ध्यान लगाएँ।
ज्ञान की देवी को शीश झुकाएँ,
विद्या प्राप्ति का आशीष पाएँ।

ऋतु बदल गयी खुशी मनाएँ,
चारों ओर अब हरियाली छाए।
मन में उमंग की लहर आये,
आओ बसंत पंचमी मनाएँ।

नई-नई कलियाँ, नए - नए फूल,
चहके चिड़िया, महके बगिया।
भंवरे भी प्रेम गीत सुनाएँ,
आओ बसंत पंचमी मनाएँ।

पीले-सूखे पत्ते झड़ते,
हरे - हरे पत्ते लगते ।
मन प्रसन्न हुए जाए रे,
आओ बसंत पंचमी मनाएँ रे।

सूने - सूने पड़े हैं पेड़,
अब वो लहरायेंगे।
फूल-फल,कली से,
हर उपवन भर जाएँगे।

बसन्त जो आ गया है,
पतझड़ का अंत हो गया है।
सर्दी का भी होगा अंत,
हरियाली फैलेगी अब अनन्त।

किसानों के घर भी खुशियाँ छाये
हर घर मे हरियाली आये।
कोयल भी मीठे गीत सुनाये,
आओ बसन्त पंचमी मनाएँ।

नई ऋतु का स्वागत करें,
आओ ये प्रण करें।
पेड़ - पौधे खूब लगाएँ हम,
हरा-भरा देश बनाएँ हम।

रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।

Comments

  1. लाजवाब हमेशा की तरह
    🌻🌹💐🌼🌻🌹💐🌼

    बसंत के स्वागत का सुंदर चित्रण😍

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  2. अप्रतिम आभा है अनंत।
    नव नवल भाव के नये छंद।
    सुखमय सुषमा लाया बसंत।
    सुन्दर भावोंकी रचना बसंत।
    सतीश चन्द्र"कौशिक"

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