फूलों जैसे हम बन जायें

ये कितनी मद्धम खुशबू है
ये कितनी सुंदर क्यारी है
ये तितली कितनी प्यारी है
हवा के झोंके आते हैं
फूलों से बतलाते हैं
और तितली से इठलाते हैं
खुशबू लेके फूलों से
ये दूर तलक फैलाते हैं
आओ हम भी नाचे गायें
मिल जुलकर कुछ रंग सजायें
करम करें कुछ ऐसे हम भी
फूलों जैसे सबको भायें
सबको यूँ हीं बाँटें खुशियाँ
क्यारी जैसी हो रंगरलियाँ
फूलों जैसे हम बन जायें!!

रचयिता
जैतून जिया,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय गाजू,
विकास खण्ड-कछौना,
जनपद-हरदोई।

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