पापा फिर तुम कब आओगे

पुलवामा के वीर शहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि

आप तो गए थे सरहद पर रक्षा करने।
आप तो गए थे मेरे लिए खिलौने लेने।
क्यों तिरंगे में लिपट कर आए हो।
 पापा फिर तुम कब आओगे।

आप तो गए थे मम्मी से वादा करके।
 दीपावली में दीप साथ जलाओगे।
क्यों तिरंगे में लिपटकर आए हो।

पापा फिर तुम कब आओगे।

बाबा तो कहते थे आप उनके लाठी का सहारा बनोगे।
आप तो उनके ही कंधों को तोड़ने आए हो।
क्यों तिरंगे में लिपटकर आए हो।

 पापा फिर तुम कब आओगे।

 क्या कसूर है मेरा, क्या कसूर है बाबा का ।
क्या कसूर है मम्मी का, क्या कसूर है मुन्नी का।
क्यों तिरंगे में लिपट कर आए हो।

 पापा फिर तुम कब आओगे।

 पापा आपके इस बलिदान को हम जाया ना जाने देंगे।
माँ की आँसू की कसम इसका बदला हम लेंगे।
बनकर फौजी हम भी सरहद को मजबूत करेंगे।
 हर आतंकी हर दुश्मन को चुन-चुनकर आपको भेंट करेंगे।

 बाबा की लाठी बनकर मुन्नी की राखी की मान रखेंगे।
दादी की दवा मम्मी का सहारा बनेंगे।
 लेकिन पापा आपके बिना सब कुछ अधूरा है।
पापा फिर तुम कब आओगे।

रचयिता
ब्रजेश कुमार द्विवेदी,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय हृदयनगर,
जनपद-बलरामपुर।

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