वाष्पन एवं संघनन

       कक्षा- 5
वाष्पन एवं संघनन

होती बारिश तालाब भरता।
गर्मी में वो सूख जाता।।
बोलो पानी कहाँ चला जाता।
पानी उड़ता भाप बन,
यही कहलाता वाष्पन।
वाष्पन की गति और बढ़ जाती।
ऐसे कारण मैं बतलाती।
अधिक वाष्पन तेज़ धूप।
सतह कर फैलाव से बदले रूप।।
वर्षा में होता वाष्पन कम।
वायु की तेज़ गति में होता दम।।
जल वाष्प जब ठंडी हो जाती।
द्रव के रूप में बदलकर आती।
यही क्रिया संघनन कहलाती।।

रचयिता 
गीता यादव,
प्रधानाध्यपिका,
प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर,
विकास खण्ड-देवमई,
जनपद-फ़तेहपुर।

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