सैनिकों के शौर्य को नमन

1-आंतक से सारा देश इक साथ रोया,
बहन ने भाई, भारत की माँ ने लाल खोया।

सरहदों पर शान्ति को सैनिक प्रहरा देते,
सैनिकों ने मोती बन सरहद का हार पिरोया।

2-कश्मीर पाने को आतंक का बीज बोया।
वीरों के शौर्य देखकर इनका होश खोया।

सामने से वार हिन्द पर कर नहीं सकते।
बागी हुए बरबाद जमीर भी इनका रोया।

3-थे कश्मीर रक्षक हिन्द से प्रेम करने वाले,
मरते नहीं देश की खातिर मर मिटने वाले।

आस्तीनों के साँपों ने झाँसा सा दे दिया,
शेर जवानों से डर गीदड़ को शह देने वाले।

4-सैनिक हिन्द के अरि को धूल चटाता आया।
भूल गये वो युद्ध जब नामो निशा मिटाया।

बौछार कर जड़ से मिटाने का प्रण ले लिया।
हिन्दुस्तान का वीर शहादत देता आया।

5-पानी भी यदि रोक दिया तो मर जाओगे,
भूखे प्यासे रहकर क्या बारुद खाओगे।

अपनी धरती पानी पर तुम जी नहीं सकते,
हिन्द की खातिर जिंदा हो कब समझ पाओगे।

6-शेर जवानों के डर से गीदड़ वार किया हैं,
अपनी बरबादी को सीधा न्यौता दिया हैं।

हिन्द के वीरों को क्या माँ से छीन सकोगे,
इन वीरों ने तो शेरनियों का दूध पिया है।

रचयिता
श्रीमती नैमिष शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय-तेहरा,
विकास खंड-मथुरा,
जिला-मथुरा।
उत्तर प्रदेश।

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