मेरी बगिया के फूल

फूल खिले हैं बगिया में मेरी
महक दूर तक जा रही है
नन्हें-मुन्नों की देखो मेहनत
कैसे रंग अब ला रही है
क्या दूँ तुम नन्हें फूलों को मैं
शब्द मेरे कम पड़ते हैं
यह छुट्टियों के दिन तुम सब के बिन
मुझको तो बड़े ही हड़ते हैं
उम्मीद बहुत तुम लोगों से है
प्रतिभा के भण्डार हो तुम
कैसे कहूँ कि होनहार
और खुद में कलाकार हो तुम
हम बस तुम्हें तराश लाते हैं
हीरा जैसे खानों से
तुम सबको अर्पित है यह कविता
तुम सबसे अच्छे बच्चे हो
तुम फूल हो मेरी बगिया के
और मन के बिल्कुल सच्चे हो
यह फूल तुम्हें हम दे रहे हैं
बस सम्मान बढ़ाने को
फूलों जैसी महक तुम्हारी
दूर तलक फैलाने को
अब हम मिलकर और पढेंगे
और पढ़ेंगे और बढ़ेंगे
सबसे आगे जाएँगें
अपनी बगिया की खुशबू को दूर तलक फैलाएँगे...

रचयिता
जैतून जिया,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय गाजू,
विकास खण्ड-कछौना,
जनपद-हरदोई।

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