शेर और चूहा

शेर और चूहे की कहानी पर आधारित कविता

एक था घना जंगल बड़ा,
जंगल में सो रहा शेर पड़ा,
नींद में वह था मस्त बड़ा।

इतने में वहाँ एक चूहा आया,
थोड़ा उसने शेर को सताया,
शेर पर कूदा शेर को जगाया।

शेर को आया गुस्सा बड़ा,
क्योंकि नींद में उसकी आया रोड़ा,
चूहे को पकड़ा उसने नहीं छोड़ा।

रोया चूहा गिड़गिड़ाया,
फिर न करूँगा ये बताया,
काम आपके आऊँगा यह समझाया।

शेर ने चूहे को माफ किया,
अपना हृदय साफ किया,
चूहे ने ईश्वर का जाप किया।

फँस गया शेर एक दिन जाल में,
देखा चूहे ने शेर को जब इस हाल में,
कर दिया कुछ उसने धमाल में।

झटपट चूहे ने जाल को काटा,
किया काम बड़ा जो लगता छोटा,
शेर ने लगाया खुशी का गोता।

छोटा हो या चाहे बड़ा,
करते हैं सभी काम बड़ा,
सबके लिए रहो हमेशा खड़ा।

तुम भी अब ये बात समझ लो,
मिलजुल कर साथ चलो,
और फिर आगे बढ़ते चलो।

रचयिता
वर्तिका अवस्थी,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय देवामई(अंग्रेजी माध्यम),
विकास क्षेत्र-मैनपुरी,
जनपद-मैनपुरी।

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