शिक्षा की ये मशाल

अब हाथ है हमारे
शिक्षा की ये मशाल
देखो कहीं न तम हो
सब ओर हो प्रकाश।
रुकना नहीं कहीं पर, आगे बढ़ें हम
बढ़ते ही चलें हम, रोकें नहीं क़दम
लोगों को है चेतना, झकझोरना समाज
देखो कहीं न तम हो, सब ओर हो प्रकाश।
सब कुरीतियों की जड़ है, यही अशिक्षा
सब लोग हों शिक्षित, अपनी यही परीक्षा
इस परीक्षा को करना हमें है पास
देखो कहीं न तम हो, सब ओर हो प्रकाश।
बेटी पढ़ाये माँ को, अम्मा पढ़ाये मौसी
इस तरह बनती जाए लम्बी एक कड़ी सी
रुकना नहीं यहाँ है, अभी और है आकाश
देखो कहीं न तम हो, सब ओर हो प्रकाश

रचयिता
कौसर जहाँ,
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बड़गहन,
विकास क्षेत्र-पिपरौली,
जनपद-गोरखपुर।

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