आओ दीवाली मनाते हैं

जगाते हैं कुछ नए सपने,
मनाते हैं कुछ बिछड़े अपने,
भूली बिसरी पुरानी यादों का,
सिलसिला फिर से चलाते हैं,
आओ दीवाली मनाते हैं।

दे मंगल आशीर्वाद बच्चों को,
झुक बड़ों के चरणों में जाते हैं,
मिलकर गले भाई-यारों के,
नफ़रत के पटाख़े जलाते हैं,
आओ दीवाली मनाते हैं।

कर गयी थीं जो दूर अपनों से,
वो गलतियाँ मिलकर मिटाते हैं,,
कुछ हम भुलाते हैं,
कुछ उनसे भुलवाते हैं,
आओ दीवाली मनाते हैं।

घमण्ड, ईर्ष्या, लालच, नफरत,
दीपों से इनको जलाते हैं,
प्यार, भाईचारा, सौहार्द, एकता,
एक नया उजियारा फैलाते हैं,
आओ दीवाली मनाते हैं।।

रचयिता
राजीव कुमार,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर राजपूत,
विकास खण्ड-कुन्दरकी
जनपद-मुरादाबाद।

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