एकता और सदभाव

   दो पक्षी भूखे और प्यासे थे। भोजन और पानी की तलाश में उड़ते हुए वे अलग अलग स्थानों पर जा बैठे। एक मंदिर में जा बैठा और दूसरा मस्जिद में पहुँच गया। मंदिर में चढ़ावे का चावल रखा हुआ था और मस्जिद में वज़ू का साफ पानी भरा हुआ था। परन्तु दोनों ही पक्षियों को दाना और पानी दोनों हो ही चाहिए थे। वे जितने प्यासे थे उतने ही भूखे थे। परन्तु दोनों कुछ असमंजस में थे। मन्दिर पर बैठा पक्षी सोच रहा था की दाना खाकर पानी पीने मस्जिद में जाना पड़ेगा।पता नहीं यह सही रहेगा या नहीं। इसी तरह मस्जिद पर बैठा पक्षी सोच रहा था की दाना खाने मन्दिर में जाना पड़ेगा। दोनों भूख प्यास से व्याकुल हो रहे थे पर धार्मिक भेदभाव आड़े आ रहा था। यूँ ही कश्मकश में जब उनकी सहनशक्ति की सीमा पार हो गयी तो उन्होंने सोचा की हमारे भूखे-प्यासे मरने से क्या होगा क्या इससे दोनों के धर्म निभ जाएँगे? उनके मन ने जवाब दिया -"नहीं हमारा जीवन अमूल्य है। इसे हम धार्मिक भेदभाव की भेंट नहीं चढ़ने देंगे। हम जीवित रहेंगे। प्रेम और एकता से भेदभाव की यह दीवार गिरा देंगे औरअपने देश व् समाज के विकास में बाधा नहीं बनेंगे।"
      दोनों ने एक दूसरे की और देखा और नीचे उतरे। दोनों ने एक साथ मन्दिर में जाकर दाना खाया और फिर मस्जिद में जाकर एक साथ पानी पिया और उड़ चले साथ साथ अपनी मंजिल की ओर  ....।
                   
लेखिका
जमीला खातून, 
प्रधानाध्यापक, 
बेसिक प्राथमिक पाठशाला गढधुरिया गंज,
नगर क्षेत्र मऊरानीपुर, 
जनपद-झाँसी।

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