बचपन

लगता सबसे प्यारा बचपन
आता नहीं दुबारा बचपन
जादू सा हँसी में मिलता
जग से न्यारा हमारा बचपन।

गुड्डे गुड़िया खेल खिलौने
सजकर लगते बड़े सलोने।
दादी नानी रोज सुनाती
नई कहानी बिछा बिछौने।

मुन्नी ने गुड़िया को सजाया।
राजू गुड्डे के संग आया
ब्याह रचाया गुड़िया का जब
हंसी ठहाके खूब मचे तब।

जब भी बरसा रिमझिम पानी
कागज की है नाव बनानी
जमकर भीगे भाग-भाग कर
छप-छप करके  खेला पानी।

सुबह शाम मस्ती की बेला
दिनभर चलता रेलमरेला
लार टपक कर बाहर आती
दिखता जब चूरन का ठेला।

पंख फैलाकर उड़ते जाना
कच्ची इमली अमिया खाना
मिट्टी सेे  बनाने खिलौने
जुगनू पकड़कर टार्च बनाना।

लौट के फिर से आना बचपन
जीवन का सफर सुहाना बचपन।
                 
रचयिता
गीता गुप्ता "मन"
प्राथमिक विद्यालय मढ़िया फकीरन,
विकास क्षेत्र - बावन,
जनपद - हरदोई।

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